सच का होना ही झूठ का प्रमाण है
मेरा न होना ही, मेरे होने का सम्मान है
सच महेज़ यही है,
की झूठ नहीं है
सच ही सच में झूठ के प्राण है
और सच का होना ही झूठ का प्रमाण है
ग्यानी हु मैं, ये बात ही असल में मेरा अज्ञान है
और सच का होना ही झूठ का प्रमाण है
ए पढने वाले, मवाफ करना मेरे शब्दों के
विरोधाभास को।
पर क्या करू दबाये न दबे रुकाए न रुकते जीवन के
आभास को।
शब्द तोह बिचारे है अपाहिज
ये क्या जाने पथिक विचारक के विलास को
सम्हज के लेना नादान मान के बचकाने प्रयास को
मवाफ करना इनके इस उपहास को
मेरा न होना ही, मेरे होने का सम्मान है
सच महेज़ यही है,
की झूठ नहीं है
सच ही सच में झूठ के प्राण है
और सच का होना ही झूठ का प्रमाण है
ग्यानी हु मैं, ये बात ही असल में मेरा अज्ञान है
और सच का होना ही झूठ का प्रमाण है
ए पढने वाले, मवाफ करना मेरे शब्दों के
विरोधाभास को।
पर क्या करू दबाये न दबे रुकाए न रुकते जीवन के
आभास को।
शब्द तोह बिचारे है अपाहिज
ये क्या जाने पथिक विचारक के विलास को
सम्हज के लेना नादान मान के बचकाने प्रयास को
मवाफ करना इनके इस उपहास को
ए पढने वाले, मवाफ करना मेरे शब्दों के
विरोधाभास को।
[jo kaha ja sake wo sach kaisa? sach toh humesha unkaha hi rehta hai.]
[ mujhe apne dayire me baandh sake ye shabdo me saamrthya kahan?
main kya hu iska jawab dena mumkin nahi. bas ye keh sakta hu ki main hu]
[jo kaha ja sake wo sach kaisa? sach toh humesha unkaha hi rehta hai.]
[ mujhe apne dayire me baandh sake ye shabdo me saamrthya kahan?
main kya hu iska jawab dena mumkin nahi. bas ye keh sakta hu ki main hu]