कुछ बोलो मत ।
धड़कन को आवाज़ करने दो,
कुछ बोलो मत ।
आँखे भी करती है बहुत कुछ बयाँ,
बयान उनको ही जज़्बात करनेदो,
कुछ बोलो मत ।
रगो में जो छायी है खुमारी
ज़रूरत है इन्हे बस तुम्हारी ।
खुमारी को और बढ़ने दो,
कुछ बोलो मत ।
लब्ज़ो में गुम हो जाते है एहसास,
एह्सांसों को महसूस करने दो, रूह तक उतरने दो, जीवन में भरने दो,
कुछ बोलो मत ।
- दुर्गेश
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