Monday, November 21, 2016

Love story

I searched here, I looked there.
How shall I tell you which nook and corner did I spare?
Poor me was looted and hooted but no sign of you came to relief.
At last I had to resort within me to see you enthroned in my heart .
Absent from world and yet omnipresent you.
You are just an illusion. A perfect deception. Yet my stupid heart longs for you! My love makes you happen. You exist because of my belief.

बेबसी

मैंने देखा है, हर खूबसूरत फूल को मुरझाते हुए।
मैंने देखा है, खाली पन्नों को द्वेष की स्याही में नहाते हुए।
मैंने जाना है, उस बेबसी को जो फूल को गलत रिझान से रोक नहीं पायी।
मैंने महसूस किया है उस कलम को जिसने पन्नों की सारी संभावनाएं मिटाई।
काश के वह फूल सही जगह पहुंच पाते।  
काश कि उन पन्नों में प्रेम गीत लिखे जाते।  
उन फूलों के रुझान से ही वो कूचले गए।  
उन पन्नों की उपलब्धता से ही वो भरे गए।
मेरे लाख समझाने पर भी कुछ ना हो सका।
और मैं, बेबस देखता रहा।  
क्योंकि, उनकी गति उनकी इच्छा का ही प्रतिफल थी।
और हजारों फूल, हजारों पन्ने, इन्हीं इच्छाओं की बलि चढ़ते जाते हैं…  चढ़ते जाते हैं!


संविधान की बुहार!

संविधान केह रहा है सिसक सिसक के, "मुझे अपनों ने बेगाना कर दिया!
मेरी आंबेडकर और गांधी बापू से जल्द ही मुलाकात होने वाली है। 
मिलने पर पूछुंगा उनसे, कितने निर्दयी हो तुम? मुझे कैसे जाहिलों के बिच छोड़ आये थे... तुम्हे तनिक भी दया नहीं आयी?"

पागलपन का पिटारा

पागलपन का पिटारा घर का मुखिया बन बैठा है। 
पहले सिर्फ उठने बैठने के तरीके बताता था। 
अब सोचने और सम्ह्जने के भी बतलाता है। 
पेहले एक जगह था, स्थायी।
अब हर जगह जेब में चलता है।