Saturday, December 19, 2015
There is no Art maker
Saturday, October 31, 2015
Monday, October 26, 2015
पाकिस्तान के बार-बार हमलों की बदौलत बोहत से युद्ध हुए ।
और इस जनसंहार से कोई समाधान नहीं निकला है, सिर्फ दोनों मुल्कों को भरी नुकसान हुआ है।
क्योंकि शांति कभी जंग से नहीं खरीदी जा सकती।
आक्रमणकारी १९४७ से ही कश्मीर में जगह-जगह छुपे हुए है और ऑयल-बढ़ रहे है।
आज भी ये, लोगों के दिलों में नफरत, डर और हिंसा की आग लगा रहे है।
ये लोगो के दिलो-दिमाग में ऐसे विचार भरते है की उन्हें लगने लगता है की वे भारत के बलपूर्वक शासन के अधीन हैं।
और भारत एक कट्टर हिंदूवादी देश है, और उनके कश्मीरियों के प्रती अन्यायपूर्ण और अनैतिक हैं।
भोले-भाले, गरीब, बेरोज़गार और अनपढ़ इनके झांसे में आ जाते है।
वो अपनी कोशिश हर तरह से करते हैं, यहाँ तक की मीडिया का भी इस्तेमाल करना उन्हें खूब आता है।
इस भीषण संघर्ष में हज़ारों मासूम, बेगुनाह कश्मीरियों की जाने गयीं है और अनगिनत ज़िंदगियाँ बर्बाद हुई हैं।
कश्मीरी पंडितों को मजबूरन अपना सब कुछ पीछे छोड़ कर जाना पड़ा।
किसी ने उन्हें रोकने की कोशिश तक नहीं की और उस दिन कश्मीर के नाम पर एक कभी ना मिटने वाला दाग लग गया।
आज भी कश्मीरी पंडित रेफ्यूजी कैंपो (शरणार्थी शिविर) में रह रहे हैं और कोई उनकी मदद करने तक को तैयार नहीं है।
आजकल सुर्खियों में मानव अधिकार के मुद्दे चर्चित हैं।
कश्मीर में मानव अधिकार उल्लंघन के बहुत ज़्यादा मामले सामने आते रहते है।
जून १९९३ में प्रकाशित "द ह्यूमन राइट्स क्राइसिस इन कश्मीर" के अनुसार।
कश्मीरी सुरक्षा बल यत्ना देने के लिए विविध प्रकार के अनैतिक और असंवैधानिक तरीके वापरते हैं।
इन सब में बुरी तरीके से पीटना, हाथापायी, शारीरिक शोषण, मानसिक शोषण, लैंगिक शोषण, जलना, गरम धातुओं से दागना, मानसिक हानि और बेज़्ज़ती, ये सारे तरीके हैं।
सिक्योरिटी फ़ोर्सेज़ बार-बार हॉस्पिटलों और मेडिकल सुविधाओ पर छपे मारते हैं, यहाँ तक की बच्चो, महिलाओं और बूढो के अस्पतालों तक को नहीं बक्शा जाता।
लेकिन मिलिटेंट्स भी मानव अधिकार के उल्लंघन की सीमाओ को पार कर रहे है और ओनके ये अपराध दर्ज नहीं होते।
सेना के ऊपर औरतो और बच्चों तक को जान से मारने का लांछन है।
और अलगाववादी इन बातो को तूल दे रहे हैं।
क्योंकि जो दीखता है, ज़रूरी नहीं की वो हमेशा सच हो।
काफी बच्चों को कश्मीर में बचपन से ही बहकाया जाता है और उनको आतंकवाद की रह पे ले जाया जाता है।
इतना ही नहीं, कई महिलाओं को आतंकवादी संगठनों में सक्रिय पाया गया है।
ये आतंकवादी और मिलिटेंट्स आम जनता में ही बसे हुए हैं की इन्हे पहचानना मुश्किल है।
कई बार ये लोग सेना के भेस में हमले करते हैं।
इन मिलिटेंट्स और आतंकवादियों के दिमाग बोहोत घातक तरीके से ट्रैंड और ब्रेन वाश की उन्हें ज़िंदा छोड़ना बहुत खतरनाक है।
इसलिए कभी-कभी मुश्किल फैसले लेने पड़ते हैं
यहाँ आप एक बम प्लांटेशन देख रहे हैं।
बम को सर्जरी के द्वारा सुसाइड बॉम्बर के शरीर में डाला जा रहा है।
हमारा संविधान कहता है की भले ही १०० गुनहगार छूट जाए, लेकिन एक बेगुनाह को सजा नहीं मिलनी चाहीए।
मगर क्या ये इन हालातों में संभव है?
क्योकि अगर सेना कुछ निर्दोष जाने बचने के लिए इन आतंकवादियों को छोड़ दे, तो कई और जाने दाव पर लग जाएगी।
लेकिन फिर जिनके अपने ऐसे हालातों में मारे जाते हैं, उनके दिल सेना और देश के लिए नफरत से भर जाते है।
कहा जाता है की सत्ता और ताकत इंसान को भ्रष्ट बना देती है। मगर दरअस्ल जब सत्ता और ताकत भ्रष्ट लोगो के हाथ में आती है तो सत्ता और ताकत भ्रष्ट हो जाती है। ऐसे कई मामले देखने में आये है जहाँ आला अफ़सरों ने अपने औहदे का दुरूपयोग कर बलात्कार, हत्या और लूट जैसे गंभीर अपराध किये है ।
अगर कश्मीरी जनता सेना का समर्थन करे तो उन्हें मिलिटैंट्स के प्रतिशोध का सामना करना पड़ता है। अब दर्द की इन्तेहाँ इतनी हो गयी है की कश्मीरी जनता इतनी परेशान, इतनी सेहमी, इतनी उलझी हुई है की न अब उन्हें भारत चाहिए न ही पाकिस्तान। अब वो अलगाव की मांग कर रहे है ।
मगर क्या अलग होना इस समस्या का हल है?
हमने एक बार पार्टीशन देख लिया है,
और वो घातक गलती दोहरानी नहीं चाहिए।
और अगर ऐसा हो जाये तोह क्या उसके बाद भी कोई गारंटी है की पाकिस्तान कश्मीर पर फिर हमला नहीं करेगा?
फिर इस समस्या का समाधान क्या है?
कश्मीर की सबसे बड़ी समस्या है गरीबी और बेरोज़गारी।
धरा ३७० के तहत वहाँ पर कोई बाहरी कंपनी निवेश नहीं कर सकती।
जिसके कारण वहाँ कोई कंपनी अपना व्यवसाय नहीं फैला सकती।
इस वजह से वहाँ रोज़गार और आय के स्त्रोत नहीं बढ़ रहे।
धरा ३७० को समाप्त करना इस समस्या का एक संभव समाधान हो सकता है।
Sunday, October 11, 2015
प्रेम-लीला
तुझे फिर फिर पाके फिर फिर खोने में मज़ा है।
क्योंकि जब पा ही लिया, तो खोना क्या है?
तू मेरी, मैं तेरा इसमें नया क्या है?
नया तो तब होगा, जब तुझे खो कर पाऊँ , पाकर खोऊँ, तू मेरी मैं तेरा ये भुला कर खोऊँ।
फिर तुझे पाऊँ , याद करू और याद दिलाऊँ ।
कभी तू ढूंढे मुझे, कभी मैं तेरे पीछे पीछे आऊँ।
प्रेम महज़ हमारा संगम नहीं है।
प्रेम तो सफर है, तलाश है।
चलो अब संगम हुआ पूरा,
फिर भूल जाये एक दूसरे को सनम।
और फिर मिले अजनबी की तरह । प्यार की छुपी छुपी दबी दबी तलाश में।
फिर ढूँढू मैं खुदको तुझमे,
तू ढूँढे अपने को मुझमे।
फिर खोये हम बचकाने ख़्वाबों में।
फिर वही शान्ति की खोज में जाऊँ।
हार के अपना सब कुछ तुझमे,
फिर बैठ किनारे प्रेम-पीड़ा के गीत बनाऊ।
नदियों को सुनाऊँ।
तुझे फिर फिर खोऊँ, फिर फिर पाऊँ।
- दुर्गेश
कुछ बोलो मत
Sunday, September 27, 2015
Thursday, July 30, 2015
Friday, July 24, 2015
Monday, July 6, 2015
What is enlightenment?
Enlightenment definitely puts you out of greed (to have) and fear (to lose) hence it ends misery. And only that is its purpose. You will still have the same life, same troubles, same inadequacies and same problems. What you won't have is greed to get things, designations, wealth or power and you won't have fear of losing any of it either. That will be the only difference.
Tuesday, June 30, 2015
Crab, Centipede and Love
Sunday, April 12, 2015
Monday, February 23, 2015
Poor Farmer, Rich Modi
Today is the day that may be remembered as the dark day of Indian history. Modi with his brigade is going to charge on poor farmers with his Trojan called Land Bill. Is there no one to stop him? Well the sad truth is there are few, but majority wins. What are we educated and so called socially sound people doing? Well we are busy with our work and business. Using our so little free time watching TV, chatting, and trying to grab those small things of life. Who has the time and energy to resist a problem that will stab the farmers. We don't care for such petty things. We are busy reading and sharing social media content that are so crispy, entertaining, ego gratifying and most of the time untrue. But, it doesn't matter as long as we get gossip content.
I am ashamed to be Indian. Because we are the one who under such influence voted for a mass murderer crook.
Tuesday, February 10, 2015
Being awake (enlightened) is like being in love!
Then it is better for you that you cover your nakedness
and pass out of love's threshing-floor,
Into the seasonless world where you shall laugh, but not all of your laughter,
And weep, but not all of your tears.
Sunday, February 1, 2015
Khoj
Dukh hai, rudan hai,
magar meri iss chir vedna ka koi naam nahi.
Dhup hai, tapan hai,
magar meri iss ghani dopahar ki koi sham nahi.
Yu toh bohat hai gyan aur vigyaan ke prashno-uttar,
magar mera astitva hi mera prashna hai,
aur iske uttar ki khoj ka koi veeraam nahi.
Dukh hai, rudan hai,
magar meri iss chir vedna ka koi naam nahi.
- Durgesh Gupta
Thursday, January 29, 2015
Ruki kalam
Aaj fir kuch likhne ka Mann hai.
Aaj fir dil me halchal aur rudan hai.
Aaj fir kuch likhne ka Mann hai.
Waqt tehra hua hai lekin ghadi ke Kato me ab bhi chalan hai.
Dhadkan ruk ruk ke chalti hai baar baar.
Pata nahi naso me ye kaisi jalan hai.
Ye maraz shayad dwa k baski baat nahi.
Isliye haathon me thami kalam hai.
Aaj fir kuch likhne ka Mann hai
Sunday, January 25, 2015
Apurna
Kya main ye haath hu? Ya ye haath mera hai?
Kisine kahan ki haath mere bina adhura hai. toh kya main iske bina pura hu?
Jaise main sochta hu ye haath mera hissa hai, shayad mera haath bhi yahi sochta hoga ki main iska hissa hu.
Iske hone na hone karne na karne ka asar mere jivan ke har ek pehlu pe padta hai. Thik jaise brhaman ke numntan kone me mere Karni ka asar padta hai. Mere hone ka asar padta hai.
Ye kaynat mujhe pura banati hai lekin ye Brahman mere bina adhura hai.